Monday, 14 November 2016

28 october 2016....9. चार दशक में 58 फीसदी घटी वन्य जीवों की संख्या, अगले चार साल में होगी 67 फीसदी तक कमी:-

 वर्ष1970 से 2012 तक 42 सालों में वैश्विक स्तर पर वन्य जीवों की संख्या में 58 प्रतिशत की कमी चुकी है। यही स्थिति रही तो 2020 तक आंकड़ा 67 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा। यह खुलासा वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड के लिविंग प्लेनेट रिपोर्ट-2016 में हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मानवीय गतिविधियों के कारण विश्व में मछली, पक्षियों, स्तनधारी जीवों आदि की संख्या में बड़े पैमाने पर कमी रही है। महज आधी सदी (1970 से 2020) में यह कमी दो तिहाई तक पहुंच जाएगी। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि धरती की परिस्थितियां बिल्कुल ही अलग चरण में पहुंच रही है। यह छठे समूल उन्मूलन की ओर भी इशारा है। पृथ्वी के इतिहास में अब तक पांच बार ऐसा हो चुका है जब कोई प्रजाति पूरी तरह से एक साथ विलुप्त हो गई हो। 6.5 करोड़ साल पहले डायनासोरों का उन्मूलन हो गया था। रिसर्चर मौजूदा परिस्थिति को एंथ्रोपोसीन कह रहे हैं। इसका मतलब हुआ कि पर्यावरण और इकोसिस्टम में जो भी बदलाव रहे हैं उसका सीधा संबंध मानवीय गतिविधियों से है। जिन मामलों में मानवीय गतिविधि ने सुरक्षित सीमा पार कर ली है उनमें बायोजियोकेमिकल फ्लो (नाइट्रोजन और फास्फोरस का इस्तेमाल), जंगल की जमीन का कृषि के लिए इस्तेमाल और पेय जल का इस्तेमाल आदि शामिल हैं। इनसे जमीन पर रहने वाले वन्य जीवों की संख्या में 36 फीसदी की कमी आई है। वहीं फ्रेश वाटर में रहने वाले जीवों की संख्या में 81 फीसदी की कमी आई है। वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड के डायरेक्टर जनरल मार्को लेंबरटिनी ने कहा कि जैसे-जैसे ये प्रजातियां खत्म होती जाएंगी, वैसे-वैसे उनसे मिलने वाली सेवाएं भी समाप्त हो जाएंगी। इनमें शुद्ध हवा, पानी, आहार आदि शामिल है। हम खुद ही अपने विनाश की ओर बढ़ रहे हैं। हम अब भी स्थिति को संभाल सकते हैं और हमें तत्काल ऐसा करना शुरू करने की जरूरत है।

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