Monday, 14 November 2016

27 october 2016..2. चाबहार के बाद ईरान के गैस ब्लॉक पर भारत का दांव:-

 ईरान और भारत के बीच रणनीतिक व आर्थिक रिश्ते अब और प्रगाढ़ होने लगे हैं। ईरान के चाबहार पोर्ट में भारत अरबों डॉलर का निवेश कर ही रहा है और अब उसने वहां के एक बड़े पेट्रोलियम ब्लॉक फरजाद बी में भी भारी भरकम निवेश करने की योजना बना ली है। वैसे यह योजना तो पुरानी है लेकिन अब ईरान सरकार ने भी इसे तकरीबन हरी झंडी दिखा दी है। फरवरी, 2017 तक दोनों देशों के बीच इस बारे में समझौता हो जाने के आसार है। फरजाद-बी गैस फील्ड ईरान के सबसे बड़े गैस फील्ड में शामिल है। इसमें भी 200 खरब घन फीट गैस भंडार होने की संभावना है।
फरजाद बी गैस फील्ड को लेकर ईरान और भारत के बीच अहम सहमति बनी है। बैठक तेहरान में पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रलय और विदेश मंत्रलय के आला अधिकारियों और ईरान के डिप्टी पेट्रोलियम मंत्री की अगुवाई में हुई। बैठक में सरकारी पेट्रोलियम कंपनी ओएनजीसी के अधिकारी भी उपस्थित थे। वैसे इस सौदे की जमीन पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने अप्रैल, 2016 में अपनी तेहरान यात्रा के दौरान ही रख दी थी। तब प्रधान की ईरान के पेट्रोलियम मंत्री बिजान नामदार जंगनेह के साथ उनकी मुलाकात हुई और फरजाद बी में भारतीय कंपनियों की तरफ से निवेश के प्रस्ताव पर काफी बात हुई थी।
विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक फरजाद बी में किया जाने वाला निवेश देश की सरकारी कंपनियों की तरफ से बाहर किये गये सबसे बड़े निवेशों में शामिल होगा। ओएनजीसी विदेश ने इस फील्ड के विकास संबंधी प्रस्ताव को तैयार कर लिया है। इसे ईरान के अधिकारियों के साथ मिल कर अंतिम रूप दिया जा रहा है। ओएनजीसी इस फील्ड के गैस के लिए एक विशेष कीमत फार्मूला भी तैयार कर रहा है।
दोनों पक्षों के बीच यह सहमति बन गई है कि फरवरी, 2017 तक इस बारे में अंतिम समझौता कर लिया जाएगा। भारत की तरफ से यह निवेश ओएनजीसी विदेश, इंडियन ऑयल और ऑयल इंडिया लिमिटेड का कंसोर्टियम करेगी। उल्लेखनीय तथ्य यह है कि भारत ने इस तेल व गैस क्षेत्र में सबसे पहले निवेश का प्रस्ताव पूर्व एनडीए सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2002 में किया था। 
सूत्रों की मानें तो अगर फरवरी-मार्च, 2017 में भारत व ईरान के बीच समझौता हो जाता है तो इस पर भारतीय कंपनियां वर्ष 2017-18 के मध्य में काम शुरू कर सकती हैं। इसके बाद तीन वर्ष बाद भारत में इस ब्लाक से गैस आना शुरू हो सकता है। भारत इस गैस का इस्तेमाल ईरान में विकसित किये जा रहे चाबहार आर्थिक क्षेत्र में भी कर सकता है।

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