भारत और चीन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अगले हफ्ते हैदराबाद में मुलाकात करेंगे। बैठक में दोनों द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के उपायों पर विचार-विमर्श करेंगे। दरअसल, बीजिंग इस बात से आशंकित है कि भारत अमेरिका और जापान के साथ रणनीतिक और रक्षा संबंधों को मजबूत बना रहा है। खुद चीनी अधिकारियों यह बात स्वीकार की है।
भातीय एनएसए अजीत डोभाल और चीन के एनएसए यांग जिएची के बीच नवंबर के पहले हफ्ते में होने वाली यह बैठक अनौपचारिक होगी। डोभाल और यांग भारत-चीन सीमा वार्ता के लिए अधिकृत विशेष प्रतिनिधि हैं। लेकिन वे भारत-चीन संबंधों से जुड़े सभी मामलों पर चर्चा के लिए समय-समय पर मिलते रहते हैं। यांग चीन के पूर्व विदेश मंत्री हैं और इस समय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के अलावा सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के स्टेट काउंसलर हैं।
चीन के सत्ता तंत्र में विदेश नीति के मामलों में स्टेट काउंसलर विदेश मंत्री से यादा शक्तिशाली होता है। 2013 में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के सत्ता में आने के बाद उन्हें इस पद पर पदोन्नत किया गया था। इस बैठक को इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि हाल ही में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना ने राष्ट्रपति शी चिनफिंग को ‘कोर लीडर’ का दर्जा दिया है और वह पार्टी और सेना में अपना आधार मजबूत कर रहे हैं।
बता दें कि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के प्रवेश और जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रतिबंध की कोशिशों में चीन के अड़ंगा लगाने की वजह से दोनों देशों के बीच तनाव पैदा हो गया था। इसके अलावा भारत गुलाम कश्मीर से होकर बनाए जा रहे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) का भी विरोध कर रहा है। वहीं, भारत में चीनी वस्तुओं के बहिष्कार और नई दिल्ली में अमेरिकी राजदूत रिचर्ड वर्मा की अरुणाचल प्रदेश यात्र पर चीन अपनी आशंका व्यक्त कर चुका है। इसके अलावा दलाई लामा को अरुणाचल प्रदेश यात्र की अनुमति दिए जाने पर भी उसे एतराज है। अरुणाचल प्रदेश को चीन तिब्बत का दक्षिणी भाग मानता है।
भातीय एनएसए अजीत डोभाल और चीन के एनएसए यांग जिएची के बीच नवंबर के पहले हफ्ते में होने वाली यह बैठक अनौपचारिक होगी। डोभाल और यांग भारत-चीन सीमा वार्ता के लिए अधिकृत विशेष प्रतिनिधि हैं। लेकिन वे भारत-चीन संबंधों से जुड़े सभी मामलों पर चर्चा के लिए समय-समय पर मिलते रहते हैं। यांग चीन के पूर्व विदेश मंत्री हैं और इस समय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के अलावा सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के स्टेट काउंसलर हैं।
चीन के सत्ता तंत्र में विदेश नीति के मामलों में स्टेट काउंसलर विदेश मंत्री से यादा शक्तिशाली होता है। 2013 में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के सत्ता में आने के बाद उन्हें इस पद पर पदोन्नत किया गया था। इस बैठक को इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि हाल ही में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना ने राष्ट्रपति शी चिनफिंग को ‘कोर लीडर’ का दर्जा दिया है और वह पार्टी और सेना में अपना आधार मजबूत कर रहे हैं।
बता दें कि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के प्रवेश और जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रतिबंध की कोशिशों में चीन के अड़ंगा लगाने की वजह से दोनों देशों के बीच तनाव पैदा हो गया था। इसके अलावा भारत गुलाम कश्मीर से होकर बनाए जा रहे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) का भी विरोध कर रहा है। वहीं, भारत में चीनी वस्तुओं के बहिष्कार और नई दिल्ली में अमेरिकी राजदूत रिचर्ड वर्मा की अरुणाचल प्रदेश यात्र पर चीन अपनी आशंका व्यक्त कर चुका है। इसके अलावा दलाई लामा को अरुणाचल प्रदेश यात्र की अनुमति दिए जाने पर भी उसे एतराज है। अरुणाचल प्रदेश को चीन तिब्बत का दक्षिणी भाग मानता है।
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