कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने दलहन और तिलहन के मामले में आत्मनिर्भर होने के लिए इनकी उत्पादकता में वृद्धि करने पर जोर दिया है। राधामोहन सिंह ने मंगलवार को कृषि मंत्रालय की सलाहकार समिति के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि दलहन और तिलहन का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के साथ मिलकर मंत्रालय काम कर रहा है। परिषद ने चार अनुसंधान केन्द्रों में तिलहनों की नौ किस्मों पर अनुसंधान परियोजना चला रखी है। जलवायु परिवर्तन को देखते हुए तिलहनों के लिए बेहतर प्रौद्योगिकी विकसित की गई है, जो इसकी फसल को बहुत अच्छा उत्पादन देने में सक्षम है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि तिलहनों की नौ विकसित की जा रही किस्मों से इनकी उत्पादकता में वृद्धि होगी। राधामोहन सिंह ने कहा कि दलहनों की विभिन्न किस्मों के अलावा देश में पाम और नारियल से भी खाद्य तेल तैयार किए गए हैं । कुछ वनस्पतियों से भी खाद्य तेल तैयार किया जा रहा है। मूंगफली, सरसों, सोयाबीन, सूरजमुखी, तिल आदि का भी खाद्य तेल के रूप में उपयोग होता है।देश में तिलहनों के कुल उत्पादन में सोयाबीन की हिस्सेदारी 36 प्रतिशत है जबकि मूंगफली, सरसों, तिल व सूरजमुखी का भी अच्छा उत्पादन है। देश में खाद्य तेलों की खपत सालाना 4.3 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है जबकि उत्पादन 2.2 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। इस अंतर को पाटने के लिए 50 प्रतिशत से अधिक खाद्य तेलों का आयात किया जाता है, जिस पर 69 717 करोड़ खर्च किए जाते हैं ।दलहनों के संबंध में कृषि मंत्री ने कहा कि उच्च उत्पादकता वाली दाल की किस्मों का विकास किया जा रहा है। इस दिशा में भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान, कानपुर कृषि विविद्यालयों, राज्यों के कृषि विभाग और अन्य संस्थानों के साथ समन्वय कर रहा है। उच्च उत्पादकता और कीट प्रतिरोधी दलहनों की किस्मों का विकास किया गया है। किसानों के खेतों पर अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन किया गया है ताकि किसान इसकी खेती की नवीनतम विधि की जानकारी हासिल कर सकें।
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