• सरकार वैसे तो अगले साल के दौरान घाटे वाले केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों को बेचने की तैयारी कर रही है लेकिन विनिवेश होने वाले उपक्रमों की सूची में वह ऐसे कुछ लाभ कमाने वाले उपक्रमों को भी शामिल कर सकती है जिनका कोई रणनीतिक महत्व नहीं है। यह जानकारी एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने दी है।
• अधिकारी के अनुसार उपक्रमों को निजी क्षेत्र को सौंपने की प्रक्रिया जारी रहेगी। नीति आयोग को घाटे वाले उपक्रमों को बेचने की योजना बनाने का काम सौंपा गया है। लेकिन कुछ लाभ कमाने वाले उपक्रमों को भी बेचा जा सकता है। इनके लिए अच्छा खरीदार मिलने की संभावना होने पर यह कदम उठाया जाएगा। लाभ कमाने वाले उन्हीं उपक्रमों को बेचने पर विचार होगा जिनमें रणनीतिक दृष्टि से कोई दिलचस्पी नहीं है।
• नीति आयोग निजीकरण के लिए पहले ही 23 उपक्रमों की पहचान करके सिफारिश दे चुका है। अब निवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) इन मामलों पर विचार कर रहा है। अधिकारी के अनुसार जल्दी ही विभाग इन्हें बेचने के लिए पहल कर सकता है।
• गौरतलब है कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने रणनीतिक विनिवेश के लिए उपक्रमों की पहचान करने का निर्देश दिया है। इसके लिए आयोग ने उपक्रमों को उच्च और निम्न प्राथमिकता की दो श्रेणियों में उपक्रमों को बांटा है। निम्न प्राथमिकता वाली सूची के उपक्रमों में रणनीतिक विनिवेश की कोशिश की जाएगी।
• सरकार चालू वित्त वर्ष में अब तक उपक्रमों के विनिवेश से 52500 करोड़ रुपये जुटा चुकी है। इनमें सूचीबद्ध सरकारी बीमा कंपनियां भी शामिल हैं।
• सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विनिवेश के जरिये धन जुटाने में पिछले साल के आंकड़े को पीछे छोड़ दिया है। पिछले वित्त वर्ष में 45500 करोड़ रुपये जुटाए गए थे। हालांकि सरकार ने बजट में चालू वित्त वर्ष के दौरान 72500 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था।
• अधिकारी के अनुसार उपक्रमों को निजी क्षेत्र को सौंपने की प्रक्रिया जारी रहेगी। नीति आयोग को घाटे वाले उपक्रमों को बेचने की योजना बनाने का काम सौंपा गया है। लेकिन कुछ लाभ कमाने वाले उपक्रमों को भी बेचा जा सकता है। इनके लिए अच्छा खरीदार मिलने की संभावना होने पर यह कदम उठाया जाएगा। लाभ कमाने वाले उन्हीं उपक्रमों को बेचने पर विचार होगा जिनमें रणनीतिक दृष्टि से कोई दिलचस्पी नहीं है।
• नीति आयोग निजीकरण के लिए पहले ही 23 उपक्रमों की पहचान करके सिफारिश दे चुका है। अब निवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) इन मामलों पर विचार कर रहा है। अधिकारी के अनुसार जल्दी ही विभाग इन्हें बेचने के लिए पहल कर सकता है।
• गौरतलब है कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने रणनीतिक विनिवेश के लिए उपक्रमों की पहचान करने का निर्देश दिया है। इसके लिए आयोग ने उपक्रमों को उच्च और निम्न प्राथमिकता की दो श्रेणियों में उपक्रमों को बांटा है। निम्न प्राथमिकता वाली सूची के उपक्रमों में रणनीतिक विनिवेश की कोशिश की जाएगी।
• सरकार चालू वित्त वर्ष में अब तक उपक्रमों के विनिवेश से 52500 करोड़ रुपये जुटा चुकी है। इनमें सूचीबद्ध सरकारी बीमा कंपनियां भी शामिल हैं।
• सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विनिवेश के जरिये धन जुटाने में पिछले साल के आंकड़े को पीछे छोड़ दिया है। पिछले वित्त वर्ष में 45500 करोड़ रुपये जुटाए गए थे। हालांकि सरकार ने बजट में चालू वित्त वर्ष के दौरान 72500 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था।
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