Tuesday, 26 December 2017

2. बैंक में लोगों के जमा पैसे की गारंटी पर आएगा नया कानून, ऐसा बोर्ड बनेगा जिसके फैसले को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती नहीं दी जा सकेगी

• बैंक में जमाकर्ता का पैसा कितना सुरक्षित रहेगा, यह विवाद का विषय बना हुआ है। वजह है फाइनेंशियल रिजॉल्यूशन डिपोजिट इंश्योरेंस (एफआरडीआई) बिल। यह डिपोजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (डीआईसीजीसी) एक्ट की जगह लेगा।
• कहा जा रहा है कि इससे बैंक में जमाकर्ताओं का पैसा वापस मिलने की गारंटी नहीं रहेगी। उद्योग संगठन और बैंकर्स भी इसके खिलाफ हैं। हालांकि प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री कह चुके हैं कि पैसा पूरी तरह सुरक्षित है। बिल पर संसदीय समिति को शीत सत्र में सिफारिशें देनीं थीं, लेकिन इसे बजट सत्र तक का समय दे दिया गया है। 
• विशेषज्ञों के मुताबिक वित्तीय ढांचा रिजर्व बैंक के बजाय सरकार के हाथों में जाएगा। इसमें विशेष बोर्ड बनाने का प्रावधान है। इसके फैसले को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती नहीं दी जा सकेगी। इसमें अध्यक्ष के अलावा आरबीआई, सेबी, इरडा, पीएफआरडीए और वित्त मंत्रालय के प्रतिनिधि, 3 होल-टाइम और 2 स्वतंत्र डायरेक्टर रहेंगे। यानी बोर्ड के 11 सदस्यों में से 7 को सरकार नियुक्त करेगी। 
• कैबिनेट ने 14 जून को बिल को मंजूरी दी थी। मानसून सत्र में इसे लोकसभा में पेश किया गया। अभी यह संसद की संयुक्त समिति के पास है। समिति के एक सदस्य ने बताया कि बैंकर बिल को लेकर ज्यादा चिंतित हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि इसके प्रावधानों से बैंक डूब जाएंगे। 
• बैंक डूबने के कगार पर आता है तो उसे बचाने का मैकेनिज्म होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि बिल जी-20 के दबाव में नहीं लाया गया है।
• नए बिल के मुताबिक रिजॉल्यूशन कॉरपोरेशन क्या काम करेगा? 
• यहबैंक और बीमा जैसी वित्तीय कंपनियों के जोखिम की मॉनिटरिंग करेगा। बैंक बंद होने की नौबत आती है तो उसका रिजॉल्यूशन प्लान बनाएगा। 
• बेल-इनप्रावधान क्या है? 
• वित्तीय कंपनी दिवालिया होने की नौबत आई तो उसकी एसेट-लायबिलिटी किसी और को दी जा सकती है, दूसरी कंपनी में विलय हो सकता है या कंपनी खत्म भी की जा सकती है। एक और प्रावधान है देनदारी की आंतरिक रिस्ट्रक्चरिंग का। इसी को बेल-इन कहते हैं। 
• बेल-आउटसे कैसे अलग है बेल-इन? 
• बेलआउटपैकेज में बाहर से पैसे देकर मदद की जाती है। यह करदाताओं का पैसा होता है। बेल-इन में जमाकर्ता के पैसे का इस्तेमाल होता है। 
• बेल-इनमें क्या किया जाएगा? 
• दो बातें हो सकती हैं। बैंक की देनदारी खत्म की जा सकती है या उसकी देनदारी को कर्ज या इक्विटी में बदला जा सकता है। 
• इसेलेकर विवाद क्यों है?: विवादकी वजह है प्रायरिटी। यह इस तरह है- डिपोजिट इंश्योरेंस, सिक्योर्ड जमाकर्ता, कर्मचारियों का वेतन, अन-इन्श्योर्ड डिपोजिट, अन-सिक्योर्ड जमाकर्ता, सरकार का बकाया और शेयरहोल्डर।
• जमाकर्ता को शेयरहोल्डर बनाया तो वह पैसे लौटाने की प्राथमिकता में अंत में होगा। हालांकि इसके लिए उसकी सहमति लेनी पड़ेगी। 
• अभी बेल-इन का प्रावधान नहीं है? :- नहीं।अभी बैंक फेल होने पर या तो उसका दूसरे बैंक में विलय होता है या बंद कर दिया जाता है। 
• किसीऔर देश में है ऐसा कानून? :- वित्तीय संकट के बाद अमेरिका और यूरोप के इंग्लैंड और जर्मनी समेत कई देशों में इसका प्रावधान किया गया है। 
• अबतक कहीं बेल-इन लागू हुआ है? :- 2013में साइप्रस में बेल-इन प्रावधान का इस्तेमाल किया गया था। तब जमाकर्ताओं को अपनी आधी रकम गंवानी पड़ी थी।

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