1.‘रणनीतिक मोड़’ लेगी मोदी सरकार की लुक ईस्ट नीति
• दक्षिणी पूर्वी एशियाई देशों के साथ सॉफ्ट कूटनीति के दौर को भारत अब खत्म कर रहा है। लुक ईस्ट नीति के नए दौर की शुरुआत हो रही है। इस दौर में दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के साथ सिर्फ व्यापारिक रिश्ते ही अहम नहीं होंगे।
• एक मजबूत रणनीतिक व राजनीतिक रिश्ते पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा। नई दिल्ली में आगामी गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह में शिरकत करने की एक साथ सहमति दे कर आसियान के दस देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने समूचे क्षेत्र में भारत की बड़ी भूमिका का स्वागत करने का संकेत दे दिया है। आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्ष 24 जनवरी को भारत पहुंचेंगे।
• 25 जनवरी, 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आसियान के राष्ट्राध्यक्षों के साथ एक अहम बैठक होगी। इसके अलावा द्विपक्षीय स्तर पर भी अलग अलग बैठक होगी।
• 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह में सभी राष्ट्राध्यक्ष उपस्थित होंगे। बैठकों को भारत के साथ इन देशों के रिश्तों की नई शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है।
• भारत को अहमियत दे रहे हैं आसियान देश : आसियान के सदस्य देशों में इंडोनेशिया, सिंगापुर, फिलीपींस, मलयेशिया, थाईलैंड, ब्रुनेई, कंबोडिया, लाओ पीडीआर, म्यंमार और वियतनाम शामिल हैं। भारत को ये देश कितनी अहमियत दे रहे हैं इसे इस बात से समझा जा सकता है कि इन्हें आस्ट्रेलिया ने द्विपक्षीय समारोह का आमंत्रण दिया था। लेकिन उसकी जगह सभी ने भारत का प्रस्ताव मंजूर किया है।
• हिन्द -प्रशांत में भारत की भूमिका चाहते हैं सभी देश : भारतीय विदेश मंत्रालय के सूत्र बताते हैं कि यह कोई छिपा हुआ रहस्य नहीं है कि आसियान देश (इंडोनेशिया, सिंगापुर, फिलीपींस, मलयेशिया आदि) पूरे हंिदू-प्रशांत क्षेत्र में भारत की उपस्थिति को बढ़ाने के पक्ष में हैं।
• वे चाहते हैं कि भारत इस पूरे क्षेत्र में रणनीतिक तौर पर ज्यादा सक्रिय हो। दोनो पक्षों के लिए रणनीतिक हित अब धीरे-धीरे ज्यादा अहम होते जा रहे हैं।
• वैसे कई देश पहले से ही भारत के साथ रक्षा सहयोग कर रहे हैं। कुछ देशों के साथ भारत की हथियारों की बिक्री को लेकर भी वार्ता हो रही है। लेकिन अब इसे ज्यादा सुनियोजित तरीके से किया जाएगा।
• एक मजबूत रणनीतिक व राजनीतिक रिश्ते पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा। नई दिल्ली में आगामी गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह में शिरकत करने की एक साथ सहमति दे कर आसियान के दस देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने समूचे क्षेत्र में भारत की बड़ी भूमिका का स्वागत करने का संकेत दे दिया है। आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्ष 24 जनवरी को भारत पहुंचेंगे।
• 25 जनवरी, 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आसियान के राष्ट्राध्यक्षों के साथ एक अहम बैठक होगी। इसके अलावा द्विपक्षीय स्तर पर भी अलग अलग बैठक होगी।
• 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह में सभी राष्ट्राध्यक्ष उपस्थित होंगे। बैठकों को भारत के साथ इन देशों के रिश्तों की नई शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है।
• भारत को अहमियत दे रहे हैं आसियान देश : आसियान के सदस्य देशों में इंडोनेशिया, सिंगापुर, फिलीपींस, मलयेशिया, थाईलैंड, ब्रुनेई, कंबोडिया, लाओ पीडीआर, म्यंमार और वियतनाम शामिल हैं। भारत को ये देश कितनी अहमियत दे रहे हैं इसे इस बात से समझा जा सकता है कि इन्हें आस्ट्रेलिया ने द्विपक्षीय समारोह का आमंत्रण दिया था। लेकिन उसकी जगह सभी ने भारत का प्रस्ताव मंजूर किया है।
• हिन्द -प्रशांत में भारत की भूमिका चाहते हैं सभी देश : भारतीय विदेश मंत्रालय के सूत्र बताते हैं कि यह कोई छिपा हुआ रहस्य नहीं है कि आसियान देश (इंडोनेशिया, सिंगापुर, फिलीपींस, मलयेशिया आदि) पूरे हंिदू-प्रशांत क्षेत्र में भारत की उपस्थिति को बढ़ाने के पक्ष में हैं।
• वे चाहते हैं कि भारत इस पूरे क्षेत्र में रणनीतिक तौर पर ज्यादा सक्रिय हो। दोनो पक्षों के लिए रणनीतिक हित अब धीरे-धीरे ज्यादा अहम होते जा रहे हैं।
• वैसे कई देश पहले से ही भारत के साथ रक्षा सहयोग कर रहे हैं। कुछ देशों के साथ भारत की हथियारों की बिक्री को लेकर भी वार्ता हो रही है। लेकिन अब इसे ज्यादा सुनियोजित तरीके से किया जाएगा।
2. साइबर क्राइम निगरानी को कराई जाएगी ई-पेट्रोलिंग
• बढ़ते साइबर क्राइम को देखते हुए संचार मंत्रलय ई-पेट्रोलिंग की व्यवस्था करने जा रहा है। बीएसएनएल की तकनीकी टीम को इसके लिए साफ्टवेयर तैयार करने के आदेश दिए गए हैं। इसके बाद एसएमएस भेज कर, कॉल कर या ऑनलाइन शॉपिंग के नाम पर ठगी करने वालों को पकड़ना आसान हो जाएगा। ई-बैकिंग पर भी निगरानी की जा सकेगी।• इंटरनेट के खतरे को रोकने के लिए सरकार ने पहले से व्यवस्था कर रखी है। इसकी कई स्तर पर निगरानी की जाती है। पूरे सिस्टम की कमान सेना की गुप्तचर शाखा को सौंपी गई है। लेकिन देश के अंदर साइबर क्राइम लगातार बढ़ रहा है। कभी एसएमएस, तो कभी मेल या कॉल कर या अन्य डिजिटल माध्यम से ठगी व अन्य अपराध किए जा रहे हैं।
• इसे गृह मंत्रलय ने गंभीरता से लिया और संचार मंत्रलय को निर्देश दिए। संचार मंत्रलय ने बीएसएनएल की तकनीकी टीम को साफ्टवेयर बनाने के आदेश दिए हैं। जो ई-पेट्रोलिंग में मदद करेगा। साथ ही वाणिज्य कॉल और एसएमएस के लिए अलग नंबर आवंटित करेगा। 1साफ्टवेयर पंजीकृत एसएमएस, कॉल व मेल की लगातार निगरानी करेगा।
• नियम के खिलाफ सूचना भेजने या कॉल करने वाले की साफ्टवेयर पहचान करेगा और रोकने का काम करेगा। विदेश संचार निगम लिमिटेड के गेट-वे के अलावा अन्य माध्यम से आने वाले विदेशी कॉल को चिह्नित करेगा। इंटरनेट और वाट्सएप कॉल पर भी निगरानी रखेगा।
3. एडीबी ने देश की विकास दर के अनुमान में की कटौती
• एशियन डवलपमेंट बैंक (एडीबी) ने चालू वित्त वर्ष 2017-18 के लिए भारत की विकास दर का अनुमान सात फीसद से घटाकर 6.7 फीसद कर दिया है। नोटबंदी का असर अभी भी जारी रहने, जीएसटी की दिक्कतों और कृषि पर मौसम संबंधी जोखिम को देखते हुए विकास दर कम की गई है। एडीबी ने अगले वित्त वर्ष 2018-19 का भी विकास दर अनुमान घटाकर 7.3 फीसद तय किया है। पहले उसने 7.4 फीसद विकास दर की उम्मीद जताई थी।
• एडीबी ने यह कदम देश की विकास दर दूसरी तिमाही में बढ़कर 6.3 फीसद होने के बावजूद उठाया है। पिछली पांच तिमाहियों से रफ्तार धीमी रहने के बाद जुलाई-सितंबर तिमाही में सुधार आया था।
• बैंक ने एशियन डवलपमेंट आउटलुक सप्लिमेंट में कहा है कि अगले 31 मार्च 2018 को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष की बाकी दो तिमाहियों में रफ्तार सुधरेगी क्योंकि सरकार जीएसटी का अनुपालन आसान करने के लिए कदम उठा रही है।
• बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सरकारी बैंकों के पुनपरूंजीकरण के लिए कदम उठाने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर माहौल सुधरने से विकास को रफ्तार मिलेगी। उसका कहना है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सुस्ती रही क्योंकि नोटबंदी का असर ज्यादा समय तक बना रहा।
• इसके अलावा जीएसटी लागू होने से भी नई दिक्कतें पैदा हो गईं। इसके अलावा मानसून कमजोर रहने से भी कृषि क्षेत्र की विकास दर धीमी रह सकती है।
• अगले वित्त वर्ष में विकास की रफ्तार पर रिपोर्ट का कहना है कि अगले साल कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें नई चुनौतियां पैदा करेंगी। इससे वित्तीय मोर्चे पर दिक्कतें रह सकती हैं। निजी क्षेत्र से कमजोर निवेश भी तेज रफ्तार में बाधा बनेगा।
• एडीबी ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में महंगाई की औसत दर 2.7 फीसद पर रही। इससे कोई परेशानी नहीं है लेकिन नोटबंदी के चलते मांग अभी भी कमजोर बनी हुई है। इससे जहां महंगाई कम रही लेकिन विकास की रफ्तार बाधित हो रही है।
• एडीबी ने यह कदम देश की विकास दर दूसरी तिमाही में बढ़कर 6.3 फीसद होने के बावजूद उठाया है। पिछली पांच तिमाहियों से रफ्तार धीमी रहने के बाद जुलाई-सितंबर तिमाही में सुधार आया था।
• बैंक ने एशियन डवलपमेंट आउटलुक सप्लिमेंट में कहा है कि अगले 31 मार्च 2018 को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष की बाकी दो तिमाहियों में रफ्तार सुधरेगी क्योंकि सरकार जीएसटी का अनुपालन आसान करने के लिए कदम उठा रही है।
• बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सरकारी बैंकों के पुनपरूंजीकरण के लिए कदम उठाने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर माहौल सुधरने से विकास को रफ्तार मिलेगी। उसका कहना है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सुस्ती रही क्योंकि नोटबंदी का असर ज्यादा समय तक बना रहा।
• इसके अलावा जीएसटी लागू होने से भी नई दिक्कतें पैदा हो गईं। इसके अलावा मानसून कमजोर रहने से भी कृषि क्षेत्र की विकास दर धीमी रह सकती है।
• अगले वित्त वर्ष में विकास की रफ्तार पर रिपोर्ट का कहना है कि अगले साल कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें नई चुनौतियां पैदा करेंगी। इससे वित्तीय मोर्चे पर दिक्कतें रह सकती हैं। निजी क्षेत्र से कमजोर निवेश भी तेज रफ्तार में बाधा बनेगा।
• एडीबी ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में महंगाई की औसत दर 2.7 फीसद पर रही। इससे कोई परेशानी नहीं है लेकिन नोटबंदी के चलते मांग अभी भी कमजोर बनी हुई है। इससे जहां महंगाई कम रही लेकिन विकास की रफ्तार बाधित हो रही है।
4. ग्लोबल वार्मिग के खिलाफ लड़ाई में पिछड़ रही दुनिया: इमैनुअल मैक्रों
• ग्लोबल वार्मिग के खिलाफ लड़ाई में पूरा विश्व पिछड़ रहा है। धरती को बचाने के लिए हमें कुछ ठोस कदम उठाने ही होंगे। यह कहना था फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों का। वह मंगलवार को वन प्लैनेट सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इसका आयोजन पेरिस जलवायु समझौते की दूसरी वर्षगांठ पर किया गया था।
• पेरिस समझौते पर करीब 195 देशों ने हस्ताक्षर कर जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने का संकल्प लिया था।
• मैक्रों ने कहा कि पर्यावरण को बचाए रखने के लिए हमें अपने संकल्पों को साकार रूप देना होगा। तभी हम भविष्य को सुरक्षित रखने के साथ ही आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ एवं स्वच्छ धरती प्रदान कर सकेंगे। 1वहीं संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुतेरस का कहना था कि जलवायु परिवर्तन पर काबू पाना हमारे लिए अहम चुनौती है। जो भी देश इसमें पीछे रहेगा, उसका भविष्य अंधकारमय होना निश्चित है।
• मालूम हो कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पेरिस समझौते से बाहर निकलने की घोषणा कर चुके हैं। सम्मेलन में माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स, वर्जिन ग्रुप के रिचर्ड ब्रैंसन समेत दुनिया भर के कई पर्यावरणविदों ने हिस्सा लिया।
• जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने को 680 अरब देगा ईयू : यूरोपीय संघ (ईयू) ने अफ्रीका, यूरोप व आसपास के क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए 10 सूत्री कार्ययोजना की घोषणा की है। इसके तहत नौ अरब यूरो (680 अरब रुपये) का वित्तीय योगदान देने की घोषणा की।
• इसे जलवायु वित्त योगदान नाम दिया गया है। ज्ञात हो, पेरिस समझौते के मुताबिक सभी देशों को मिलकर धरती के तापमान को कम करने की दिशा में काम करना था।
• पेरिस समझौते पर करीब 195 देशों ने हस्ताक्षर कर जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने का संकल्प लिया था।
• मैक्रों ने कहा कि पर्यावरण को बचाए रखने के लिए हमें अपने संकल्पों को साकार रूप देना होगा। तभी हम भविष्य को सुरक्षित रखने के साथ ही आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ एवं स्वच्छ धरती प्रदान कर सकेंगे। 1वहीं संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुतेरस का कहना था कि जलवायु परिवर्तन पर काबू पाना हमारे लिए अहम चुनौती है। जो भी देश इसमें पीछे रहेगा, उसका भविष्य अंधकारमय होना निश्चित है।
• मालूम हो कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पेरिस समझौते से बाहर निकलने की घोषणा कर चुके हैं। सम्मेलन में माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स, वर्जिन ग्रुप के रिचर्ड ब्रैंसन समेत दुनिया भर के कई पर्यावरणविदों ने हिस्सा लिया।
• जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने को 680 अरब देगा ईयू : यूरोपीय संघ (ईयू) ने अफ्रीका, यूरोप व आसपास के क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए 10 सूत्री कार्ययोजना की घोषणा की है। इसके तहत नौ अरब यूरो (680 अरब रुपये) का वित्तीय योगदान देने की घोषणा की।
• इसे जलवायु वित्त योगदान नाम दिया गया है। ज्ञात हो, पेरिस समझौते के मुताबिक सभी देशों को मिलकर धरती के तापमान को कम करने की दिशा में काम करना था।
5. उ.कोरिया संकट : अमेरिका बिना शर्त बातचीत को तैयार
• दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन ने चीन का अपना राजकीय दौरा आज प्रारंभ किया। दक्षिण कोरिया में अमेरिका ने मिसाइल रोधी पण्राली तैनात की थी जिससे बीजिंग की त्यौरियां चढ़ गई थी। ऐसे में इस दौरे को रिश्तों में आए तनाव को कम करने की कवायद कहा जा सकता है।• ऐसी उम्मीद है कि इस चार दिवसीय दौरे में मून उत्तर कोरिया के परमाणु संकट पर भी र्चचा करेंगे। बृहस्पतिवार को उनके और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच भी बातचीत होगी। इस वर्ष की शुरुआत में अमेरिकी सेना ने परमाणु सम्पन्न उत्तर कोरिया की ओर से उपजे खतरे के जवाब में दक्षिण कोरिया में शक्तिशाली थाड पण्राली तैनात की थी।
• उसके उस कदम से बीजिंग की नाराजगी बढ़ गई थी क्योंकि उसका मानना था कि यह उसकी खुद की सुरक्षा के लिए खतरा है। इसके बाद चीन ने दक्षिण कोरिया के खिलाफ कई कदम उठाए थे, जिन्हें आर्थिक मोर्चे पर बदले की कार्वाई के रूप में देखा गया।
• पिछले महीने दोनों देशों ने संबंध बेहतर बनाने की साझा इच्छा जाहिर करने वाले एक जैसे बयान जारी किए थे। इसमें पेइचिंग ने मांग की थी कि दक्षिण कोरिया औपचारिक रूप से यह वादा करे कि वह अब और थाड लांचर तैनात नहीं करेगा और क्षेत्र में किसी भी अमेरिकी मिसाइल प्रतिरक्षा पण्राली में शामिल नहीं होगा।
• मून के दौरे से पहले उनके कार्यालय की ओर से कहा गया था कि राष्ट्रपति चीन के साथ संबंध सामान्य करना चाहते हैं और यह दौरा और अधिक परिपक्व संबंध की दिशा में एक अहम कदम होगा।
6. अमरनाथ गुफा मौन क्षेत्र घोषित
• राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दक्षिण कश्मीर हिमालय में स्थित अमरनाथ गुफा श्राइन की पर्यावरण संवेदनशीलता को बनाये रखने के लिए आज इसे मौन क्षेत्र घोषित कर दिया।
• एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि अमरनाथ श्राइन बोर्ड को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि तीर्थयात्रियों को समुचित ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध कराई जायें ताकि वे स्पष्ट दर्शन करने से वंचित न रहें और क्षेत्र का पारिस्थितिकी तंत्र बना रहे।
• एनजीटी पीठ के निर्देश
• एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि अमरनाथ श्राइन बोर्ड को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि तीर्थयात्रियों को समुचित ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध कराई जायें ताकि वे स्पष्ट दर्शन करने से वंचित न रहें और क्षेत्र का पारिस्थितिकी तंत्र बना रहे।
• एनजीटी पीठ के निर्देश
• धार्मिक गुफा की ओर जाने वाली सीढ़ियों से किसी को भी कुछ भी अपने साथ ले जाने की अनुमति नहीं होगी और हर व्यक्ति की प्रवेश बिंदु पर अच्छी तरह से तलाशी ली जानी चाहिए।
• सीढ़ियों से और गुफा के अंदर के क्षेत्र को मौन क्षेत्र किया जाना चाहिए। द हिम शिवलिंग के सामने लोहे की गिल्रों को हटाया जाए ताकि श्रद्धालु भलीभांति दर्शन कर सकें।
• पवित्र गुफा के निकट ध्वनि प्रदूषण भी नहीं हो।
• अंतिम जांच बिंदु से आगे मोबाइल फोन समेत निजी सामानों को नहीं ले जाने दिया जाए।
• श्राइन बोर्ड एक ऐसा स्थान बनाये जहां लोग अपना कीमती सामान रख सकें।
• पर्यावरण और वन मंत्रालय एक अतिरिक्त सचिव की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की समिति को तीर्थयात्रियों को उपलब्ध कराई जाने वाली सुविधाओं के संबंध में तीन सप्ताह के भीतर एक कार्ययोजना सौंपे।
• सीढ़ियों से और गुफा के अंदर के क्षेत्र को मौन क्षेत्र किया जाना चाहिए। द हिम शिवलिंग के सामने लोहे की गिल्रों को हटाया जाए ताकि श्रद्धालु भलीभांति दर्शन कर सकें।
• पवित्र गुफा के निकट ध्वनि प्रदूषण भी नहीं हो।
• अंतिम जांच बिंदु से आगे मोबाइल फोन समेत निजी सामानों को नहीं ले जाने दिया जाए।
• श्राइन बोर्ड एक ऐसा स्थान बनाये जहां लोग अपना कीमती सामान रख सकें।
• पर्यावरण और वन मंत्रालय एक अतिरिक्त सचिव की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की समिति को तीर्थयात्रियों को उपलब्ध कराई जाने वाली सुविधाओं के संबंध में तीन सप्ताह के भीतर एक कार्ययोजना सौंपे।
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