Monday, 25 December 2017

3. शिक्षा ऋण से भी बढ़ी रही एनपीए की समस्या


• बैंकों के लिए शिक्षा कर्ज भी अब समस्या बनती जा रही है। कर्ज लौटाने में चूक बढ़कर मार्च 2017 में कुल बकाए का 7.67 प्रतिशत हो गया जो दो साल पहले 5.7 प्रतिशत था।
• भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के आंकड़े के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 के अंत में कुल शिक्षा कर्ज 67,678.5 करोड़ रूपये पहुंच गया। इसमें 5,191.72 करोड़ रूपये एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) हो गया। सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में बढ़े फंसे कर्ज से पहले ही जूझ रही है और उन्हें मजबूत करने के लिए पूंजी डालने की बड़ी योजना तैयार की है।
• आईबीए के आंकड़े के अनुसार क्षेत्र में गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) कुल कर्ज के प्रतिशत के रूप में लगातार बढ़ रही है।वित्त वर्ष 2014-15 में एनपीए 5.7 प्रतिशत थी जो 2015-16 में 7.3 प्रतिशत तथा पिछले वित्त वर्ष में 7.67 प्रतिशत पहुंच गई।
• उल्लेखनीय है कि सरकार ने पूर्व में आईबीए की शिक्षा कर्ज योजना के माडल में संशोधन किया जिसका मकसद इस क्षेत्र में एनपीए के प्रभाव को कम करना था।
• योजना में जो बदलाव किए गए, उसमें भुगतान की अवधि बढ़ाकर 15 साल करना तथा 7.5 लाख रूपये तक के शिक्षा ऋण के लिए क्रेडिट गारंटी फंड स्कीम फार एजुकेशन लोन की शुरुआत शामिल हैं।
• सरकारी बैंकों का एनपीए 7.34 लाख करोड़ है जिसमें सबसे ज्यादा हिस्सा कारपोरेट जगत का है।

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