Thursday 28 December 2017

3. CA नहीं कर सकेंगे हेरफेर, रोकने के लिए सरकार गठित करेगी NFRA

• मुखौटा कंपनियों की अवैध कारगुजारियों में शामिल चार्टर्ड अकाउंटेंट्स पर शिकंजा कसने के लिए केंद्र सरकार राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (एनएफआरए) का गठन करने की तैयारी में है। कॉरपोरेट मंत्रालय नए साल में इसके गठन पर अधिसूचना जारी करेगा।
• इस प्राधिकरण को अवैध गतिविधि पर जुर्माना लगाने और कार्य पर रोक लगाने के अधिकार होंगे। प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा मुखौटा कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए गठित कार्यबल ने कंपनी अधिनियम 2013 में शामिल एनएफआरए को अधिसूचित करने की सिफारिश की है। 
• राजस्व सचिव हसमुख अधिया इस कार्यबल का नेतृत्व कर रहे हैं। कॉर्पोरेट मंत्रालय और कार्यबल के बीच हाल में हुई बैठक में प्राधिकरण को अधिसूचित करने पर निर्णय लिया गया। कार्यबल की ओर से बैठक में तर्क रखा गया कि चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की व्यवसायिक अनियमितता और धोखाधड़ी से निपटने में मौजूदा कानून सक्षम नहीं है। कानून पर पुनर्विचार कर प्रभावी व्यवस्था लागू की जानी चाहिए, जिसमें इनके खिलाफ दीवानी और आपराधिक कानून के तहत कार्रवाई की जा सके। 
• बैठक में शामिल मंत्रालय के सचिव ने सुझाव दिया था कि इन पेशेवरों (सीए) से निपटने के लिए एनएफआरए को लागू किया जाए। 
• कंपनी अधिनियम की धारा 132 के तहत आने वाला यह प्राधिकार ऐसे पेशेवरों से निपटने में सक्षम होगा। एनएफआरए को खाता मानकों के अनुपालन के लिए विभिन्न अधिकार प्राप्त हैं। प्राधिकरण के पास मानकों को लागू कराने, निगरानी और सिफारिश का अधिकार है। 
• इस सुझाव को स्वीकारते हुए कार्यबल ने कहा कि जल्द से जल्द प्राधिकरण के संबंध में अधिसूचना जारी की जाए, ताकि कालेधन को सफेद करने जैसी कारगुजारियों में शामिल पेशेवरों पर अंकुश लगाया जा सके। गौरतलब है कि एक जुलाई को आईसीएआई के स्थापना दिवस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि देश की आर्थिक सेहत के लिए सीए डॉक्टर की तरह हैं। जैसे इलाज में गड़बड़ी के लिए डॉक्टर की जिम्मेदारी तय होती है, वैसे ही कंपनियों में गड़बड़ी होने पर सीए की जिम्मेदारी भी तय होगी। 
• प्रैक्टिक पर रोक लगेगी:-नए नियम लागू होने के बाद उन पेशेवरों की मुश्किलें बढ़ जाएंगी हैं, जो अनियमित और अवैध कारगुजारियों में लिप्त हैं। यह प्राधिकार को खातों के हिसाब और लेखा परीक्षा नीतियों व मानकों के बारे में ना सिर्फ सिफारिश करने, बल्कि गलत करने वाले पेशेवर के खिलाफ कार्रवाई करने का भी अधिकार देगा। 
• कंपनी अधिनियम के तहत इसके पास दीवानी अदालत जैसी शक्तियां होंगी। प्राधिकरण समन जारी करने के साथ जांच के आदेश, आर्थिक दंड और 6 महीने से 10 साल तक प्रैक्टिस पर रोक भी लगा सकेगा। 
• पांच गुना तक जुर्माना:-किसी व्यक्तिगत मामले में प्राधिकरण एक लाख से लेकर फीस की पांच गुना राशि तक का जुर्माना लगा सकता है। इसी तरह फर्म के मामले में वह कम से कम 10 लाख रुपये और अधिकतम फीस की 10 गुना राशि तक जुर्माना ठोक सकता है। हालांकि उसके निर्णय को चुनौती देने के लिए एक अपीलीय प्राधिकरण भी होगी। 
• राजस्व बढ़ेगा, कर की दर घटेगी
नए अधिनियम लागू होने के बाद करों में हेराफेरी पर रोक लगाना संभव होगा, जिससे सीधे तौर पर राजस्व में वृद्धि होगी। इससे विकास कार्यों को बढ़ावा देने के साथ सरकार को कर की दर घटाने में भी मदद मिलेगी।

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