• सुप्रीम कोर्ट ने सड़क दुर्घटनाएं रोकने और सड़क सुरक्षा को लेकर गुरुवार को कई दिशा-निर्देश जारी किए। अदालत ने कहा कि सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हर जिले में ट्रामा सेंटर बनाएं। वहां एक एंबुलेंस की व्यवस्था जरूर हो। साथ ही स्कूल पाठ्यक्रम में 1 अप्रैल 2018 तक सुरक्षा मानदंड शामिल करें।
• जस्टिस एमबी लोकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह भी कहा कि जिन राज्यों ने अब तक सड़क सुरक्षा नीति नहीं बनाई है, वे अगले साल 31 जनवरी तक यह काम पूरा कर लें और इसका ईमानदारी से पालन करें।
• जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं की बड़ी वजह खराब सड़कें और उसका अनुचित डिजाइन है। दुर्घटना के बाद घायल व्यक्ति की जिंदगी बचाना सबसे महत्वपूर्ण होता है।
• बेंच ने कहा कि अगर पूरी ईमानदारी से दिशा-निर्देशों का पालन किया जाए तो हजारों जिंदगियां तो बचेंगी ही, इंश्योरेंस कंपनियों के भी करोड़ों रुपए बचेंगे।
• सड़क के खतरनाक स्पॉट की पहचान करने और डिजाइन दुरुस्त करने का भी निर्देश जारी
• 31 जनवरी2018 तक रोड सेफ्टी काउंसिल गठित करें। काउंसिल समय-समय पर कानून का पुनर्परीक्षण करे और उचित कदम उठाए।
• ट्रैफिक नियम तोड़ने वालों से प्राप्त जुर्माने की राशि से 31 मार्च 2018 तक रोड सेफ्टी फंड बनाएं।
• 31मार्चतक सड़क सुरक्षा एक्शन प्लान तैयार करें। मसले पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का रवैया उदासीन है।
• 31जनवरीतक जिला राज्य सुरक्षा कमेटी गठित करें।
• सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय सड़कों पर खतरनाक स्पॉट की पहचान करें और डिजाइन को दुरुस्त करने के लिए उचित कदम उठाए।
• दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए क्वालीफाइड ऑडिटर से सड़क का ऑडिट कराया जाए।
• पांच किमी या इससे अधिक की नई सड़क परियोजनाओं में डिजाइन का ध्यान रखा जाए।
• ट्रैफिक स्थिति जानने, नियम तोड़ने वालों की पहचान के लिए कैमरा एवं ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड ट्रेनिंग रिपोर्ट का सख्ती से पालन हो।
• राज्य और राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए स्पेशल पैट्रोल फोर्स का गठन हो।
• जस्टिस एमबी लोकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह भी कहा कि जिन राज्यों ने अब तक सड़क सुरक्षा नीति नहीं बनाई है, वे अगले साल 31 जनवरी तक यह काम पूरा कर लें और इसका ईमानदारी से पालन करें।
• जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं की बड़ी वजह खराब सड़कें और उसका अनुचित डिजाइन है। दुर्घटना के बाद घायल व्यक्ति की जिंदगी बचाना सबसे महत्वपूर्ण होता है।
• बेंच ने कहा कि अगर पूरी ईमानदारी से दिशा-निर्देशों का पालन किया जाए तो हजारों जिंदगियां तो बचेंगी ही, इंश्योरेंस कंपनियों के भी करोड़ों रुपए बचेंगे।
• सड़क के खतरनाक स्पॉट की पहचान करने और डिजाइन दुरुस्त करने का भी निर्देश जारी
• 31 जनवरी2018 तक रोड सेफ्टी काउंसिल गठित करें। काउंसिल समय-समय पर कानून का पुनर्परीक्षण करे और उचित कदम उठाए।
• ट्रैफिक नियम तोड़ने वालों से प्राप्त जुर्माने की राशि से 31 मार्च 2018 तक रोड सेफ्टी फंड बनाएं।
• 31मार्चतक सड़क सुरक्षा एक्शन प्लान तैयार करें। मसले पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का रवैया उदासीन है।
• 31जनवरीतक जिला राज्य सुरक्षा कमेटी गठित करें।
• सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय सड़कों पर खतरनाक स्पॉट की पहचान करें और डिजाइन को दुरुस्त करने के लिए उचित कदम उठाए।
• दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए क्वालीफाइड ऑडिटर से सड़क का ऑडिट कराया जाए।
• पांच किमी या इससे अधिक की नई सड़क परियोजनाओं में डिजाइन का ध्यान रखा जाए।
• ट्रैफिक स्थिति जानने, नियम तोड़ने वालों की पहचान के लिए कैमरा एवं ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड ट्रेनिंग रिपोर्ट का सख्ती से पालन हो।
• राज्य और राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए स्पेशल पैट्रोल फोर्स का गठन हो।
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