Friday, 1 December 2017

01 December 2017.. 1.जीएसटी के साथ जीडीपी में रफ्तार

• अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर गुजरात विधानसभा चुनाव में विपक्ष के हमले झेल रही सरकार के लिए आर्थिक मोर्चे पर राहत की खबर है। लगातार पांच तिमाही से विकास दर में जारी गिरावट का सिलसिला आखिरकार थम गया है। एक जुलाई से जीएसटी के आगाज के साथ विकास दर चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में बढ़कर 6.3 फीसद हो गई है। 
• इससे पहले 30 जून को समाप्त तिमाही में यह दर घटकर तीन साल के न्यूनतम स्तर 5.7 फीसद पर चली गई थी। मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में आर्थिक विकास दर छह फीसद रही है।1खास बात यह है कि मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में 7.0 फीसद की शानदार वृद्धि हुई है।
• यह इस बात का संकेत है कि कारोबार जगत जीएसटी के साथ कदमताल करने लगा है। वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि नोटबंदी व जीएसटी का असर पीछे छूट चुका है। आने वाली तिमाहियों में देश की विकास दर और ऊपर जाएगी।
• वित्त वर्ष 2016-17 में अप्रैल-जून की तिमाही में 7.9 फीसद के स्तर पर पहुंचने के बाद विकास दर लगातार नीचे आ रही थी। इसे लेकर विपक्ष लगातार सरकार की आलोचना कर रहा था। विपक्ष का आरोप था कि नोटबंदी के फैसले और जीएसटी के अमल में कमियों के चलते आर्थिक गतिविधियों पर नकारात्मक असर पड़ा है। इससे विकास दर पटरी से उतर गई है।
• केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने गुरुवार को सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के आंकड़े जारी करते हुए कहा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में विकास दर 6.3 फीसद रही है। बीते वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह दर 7.5 फीसद थी।
• मौजूदा वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में मैन्यूफैक्चरिंग, बिजली, गैस, जलापूर्ति व अन्य यूटिलिटी सेवाएं और व्यापार, होटल, ट्रांसपोर्ट व संचार सेवाओं की वृद्धि दर छह फीसद से अधिक रही है। पहली तिमाही में मैन्यूफैक्चरिंग की स्थिति खराब थी। हालांकि कृषि, वानिकी और फिशरीज, खनन और कंस्ट्रक्शन ऐसे क्षेत्र हैं, जिनकी स्थिति अच्छी नहीं है।
• भारत के मुख्य सांख्यिकीकार टीसीए अनंत का कहना है कि पिछले साल बेहतर मानसून से कृषि की वृद्धि दर अच्छी थी। इस साल मानसून अच्छा नहीं रहने से कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन सुस्त रहा है।
• अब भी कुछ चुनौतियां बरकरार : निवेश का सूचकांक माना जाने वाले सकल स्थायी पूंजी निर्माण (जीएफसीएफ) की दर दूसरी तिमाही में 28.2 फीसद रही है, जो कि हाल के वर्षो में काफी कम है।
• वैसे, समीक्षाधीन तिमाही में इसमें वृद्धि दर्ज की गई है। इसी तरह ढांचागत क्षेत्र के मोर्चे पर भी कई चुनौतियां हैं। दूसरी तिमाही में कंस्ट्रक्शन क्षेत्र की वृद्धि दर मात्र 2.6 फीसद रही। बीते वर्ष की समान तिमाही में यह आंकड़ा 4.3 फीसद था।
• बुनियादी उद्योगों में दिखी थोड़ी सुस्ती : उद्योग मंत्रलय ने बुनियादी क्षेत्र के आठ प्रमुख उद्योगों के आंकड़े जारी करते हुए कहा कि अक्टूबर में कोर सेक्टर की वृद्धि दर 4.7 फीसद रही है।
• पिछले साल समान महीने में इन प्रमुख उद्योगों की वृद्धि दर 7.1 फीसद थी। ‘व्यक्तिगत अंतिम उपभोग व्यय’ बढ़ने की रफ्तार भी बीते साल के मुकाबले कम है।

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