Sunday, 3 December 2017

दैनिक समसामयिकी 03 December 2017(Sunday)


1.चाबहार बंदरगाह के पहले चरण का उद्घाटन आज

• ईरान में भारत के सहयोग से विकसित किए जा रहे चाबहार बंदरगाह परियोजना के पहले चरण का उद्घाटन रविवार को ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी करेंगे। इस कार्यक्रम में भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी शिरकत करेंगी।
• विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट कर बताया कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज शनिवार को रूस से लौटते वक्त तेहरान में रुक गईं और अपने ईरानी समकक्ष जावेद जरीफ के साथ लंच पर आपसी हित के मसलों पर चर्चा की। वह रूसी शहर सोच्चि में शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) की वार्षिक बैठक में हिस्सा लेकर लौट रही थीं। 
• विदेश मंत्रलय के अधिकारियों ने बताया कि यह तकनीकी ठहराव है न कि अनिर्धारित। माना जा रहा है कि दोनों विदेश मंत्रियों ने चाबहार बंदरगाह परियोजना के क्रियान्वयन की समीक्षा की। महीनेभर पहले ही भारत ने गेहूं की एक खेप चाबहार बंदरगाह के रास्ते अफगानिस्तान भेजी थी। 
• इस कदम को तीनों देशों के बीच (पाकिस्तान को दरकिनार करके) नए रणनीतिक मार्ग की शुरुआत की दिशा में मील के पत्थर के रूप में देखा गया था। इस बंदरगाह के जरिये भारत, अफगानिस्तान और ईरान के बीच व्यापार में उछाल आने की उम्मीद है। 
• पाकिस्तान इन दोनों देशों तक सामान की आवाजाही के लिए भारत को अपनी जमीन के इस्तेमाल की अनुमति देने से इन्कार करता रहा है।
• द्विपक्षीय मसलों के अलावा स्वराज और जरीफ ने क्षेत्रीय हालात और खाड़ी क्षेत्र में बदलते राजनीतिक घटनाक्रम पर भी विचार-विमर्श किया। भारत ईरान से तेल आयात बढ़ाने और प्राकृतिक गैस की संभावित आपूर्ति के साथ-साथ अन्य व्यापार बढ़ाने का इच्छुक है। 
• इसलिए माना जा रहा है कि बैठक में इन मसलों पर भी चर्चा हुई। बता दें कि सुषमा स्वराज ने पिछले साल अप्रैल में ईरान की द्विपक्षीय यात्रा की थी। इस दौरान दोनों पक्षों ने समग्र तौर से संबंधों के विस्तार, खासतौर पर तेल और गैस क्षेत्र के संयुक्त उद्यमों में भारतीय निवेश बढ़ाने का निर्णय लिया था।

2. कामोव हेलीकाप्टर का उत्पादन चार चरणों में

• भारत के लिए 200 कामोव हल्के सैन्य हेलीकाप्टरों का उत्पादन चार चरणों में किया जाएगा। इसका मकसद भारत-रूसी संयुक्त उद्यम के तहत इसके प्रमुख कलपुजरे की प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण सुनिश्चित करना है। कार्यक्र म से जुड़े एक वरिष्ठ रूसी अधिकारी ने इसकी जानकारी दी।
• भारत और रूस संयुक्त उद्यम के तहत 200 कामोव 226टी हेलीकॉप्टरों का उत्पादन किया जाएगा। समझौते के तहत रूस 60 हेलीकाप्टर भारत को चालू हालत में देगा। शेष बचे 140 हेलीकॉप्टरों का निर्माण भारत में होगा। इसके लिए दोनों देशों के बीच एक अरब डालर का समझौता हुआ था। 
• कामोव-226टी कार्यक्रम के निदेशक दिमित्री श्वेट्स ने यहां कहा, यह परियोजना एक अंतर-सरकारी समझौते के आधार पर लागू की जाएगी। इसके तहत रूसी पक्ष ने प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और ग्राहक देश (भारत) में इसके स्थानीकरण के उच्चतम संभव स्तर की उपलब्धि का दायित्व उठाया है।
• उन्होंने कहा कि स्थानीयकरण के तहत हेलीकाप्टर उत्पादन के चार चरण होंगे, जिसमें हेलीकाप्टरों और उसके प्रमुख कलपुजरे का प्रौद्योगिकी हस्तातंरण से लेकर उत्पादन तक शामिल है। अधिकारियों के मुताबिक पहले चरण में रूस में एसेम्बल (बनाए गए) किए गए हेलीकाप्टरों की आपूत्तर्ि शामिल है। जबकि दूसरे चरण में हेलीकाप्टर के कलपुजरे की आपूर्ति और स्थानीय स्तर पर कलपुर्जों के निर्माण की तैयारी, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और तकनीकी सहायता शामिल है। 
• तीसरे चरण में आपूर्ति की गई सामग्री से कलपुजरे का उत्पादन शामिल है। वहीं चौथे चरण में स्थानीय स्तर पर उत्पादित सामग्री से तैयार कलपुजरे या रूस से भेजे गए कलपुजरे का संकलन (एसेम्बल), संयुक्त प्रशिक्षण और सर्विस तथा मरम्मत केंद्र के लिए बुनियादी ढांचा शामिल है।
• पिछले साल अक्टूबर में भारत और रूस ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और रक्षा क्षेत्र की दो प्रमुख रूसी कंपनियों के बीच एक संयुक्त उद्यम के लिए एक व्यापक समझौते को अंतिम रूप दिया था। भारत पुराने हो चुके चीता और चेतक हेलीकाप्टरों को बदलने के लिए कामोव खरीद रहा है।

3. भुगतान संकट के कारण क्यूबा में हुई दवाओं की कमी

• क्यूबा में बीते एक वर्ष से दवाओं की कमी से लोग परेशान हैं। क्यूबा की दवा कंपनियां 85 प्रतिशत कच्चे माल का आयात विदेश से करती हैं। अब इन कंपनियों के पास इतने पैसे नहीं हैं कि वे विदेशी आपूर्तिकर्ताओं को बकाए का भुगतान कर सकें। इस वजह से क्यूबा की कंपनियों को विदेश से माल मिलने में परेशानी हो रही है। इसकी जानकारी क्यूबा कम्यूनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ‘ग्रानमा’ में दी गई है।
• क्यूबा के उसके प्रमुख सहयोगी देश वेनेजुएला से भी पूर्व की तरह मदद नहीं मिल पा रही है। इस स्थिति में क्यूबा को आयात में कटौती करनी पड़ी है। इससे देश में दवाओं का संकट पैदा हो गया है। सबसे ज्यादा कमी गर्भनिरोधक गोलियों और उच्च रक्तचाप की दवाओं की है।
• इसका लाभ दवाओं की कालाबाजारी करने वाले उठा रहे हैं। क्यूबा सरकार इनके खिलाफ सख्त कदम उठा रही है। क्यूबा में मेडिसिन प्लानिंग विभाग की प्रमुख क्रिस्टिना लारा बस्तानजुरी ने बताया,‘ हम इस स्थिति से निपटने के लिए अगस्त से कई बैठकें कर चुके हैं। कई अहम कदम उठाए गए हैं। कुछ हद तक समस्या पर काबू पाया गया है। दवाओं के उत्पादन में स्थिरता आ रही है।

4. वित्त आयोग को स्थायी संस्था बनाने पर विचार

• केंद्र और राज्यों के बीच संसाधनों के बंटवारे की संवेदनशीलता को देखते हुए वित्त आयोग को एक स्थायी संस्था के तौर पर स्थापित करने पर विचार किया जा रहा है। हाल ही में अंतर राज्य परिषद की स्थायी समिति की बैठक में इस पर विचार हुआ। राज्यों में भी इस प्रस्ताव पर सहमति है।
• पिछले महीने 25 तारीख को हुई स्थायी समिति की बैठक में राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ इस प्रस्ताव पर विचार हुआ। हालांकि स्थायी समिति ने इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है। लेकिन सूत्र बताते हैं कि परिषद के इस प्रस्ताव को अमल में लाने योग्य माना गया है। 
• सूत्रों ने बताया कि परिषद ने प्रस्ताव रखा है कि केंद्र और राज्यों के बीच संसाधनों के बंटवारे का फॉमरूला तय करने वाले वित्त आयोग को स्थायी संस्था के तौर पर स्थापित कर दिया जाना चाहिए। प्रस्ताव में इसके बुनियादी ढांचे का स्वरूप भी दिया गया है। 
• इसके तहत आयोग के सदस्यों को पांच साल का कार्यकाल मिलना चाहिए और इसका एक नियमित सचिवालय स्थापित किया जा सकता है। प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि केंद्र को एक ऐसा तरीका तलाशना चाहिए जिससे वित्त आयोग में राज्यों की भागीदारी को भी सुनिश्चित किया जा सके। माना जा रहा है कि वित्त आयोग के विमर्श में राज्यों की भूमिका होगी तो संसाधनों के वितरण का अधिक व्यावहारिक फॉमरूला निकाला जा सकेगा। परिषद का तो यहां तक कहना है कि इससे आयोग के नियम व शर्ते तय करने में भी राज्यों की भागीदारी सुनिश्चित हो जाएगी।
• परिषद के इस प्रस्ताव पर सभी राज्य सहमत हैं। हालांकि इस प्रस्ताव पर केवल 23 राज्यों ने भी अपनी प्रतिक्रिया परिषद को भेजी थी। वित्त मंत्रलय के व्यय विभाग ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि उसके तहत आने वाला वित्त आयोग डिवीजन अभी भी आयोग संबंधी मामलों के बारे में फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है। 
• इनमें आयोग की सिफारिशों के आधार पर अनुदान जारी करना भी शामिल है।1हालांकि परिषद का सुझाव है कि वित्त मंत्रलय के वित्त आयोग डिवीजन को एक पूर्णकालिक विभाग के तौर पर बदल दिया जाना चाहिए। यह विभाग आयोग के स्थायी सचिवालय के तौर पर काम करे। लेकिन परिषद के इस सुझाव पर आंध्र प्रदेश, जम्मू कश्मीर और कर्नाटक ने असहमति जतायी है। 
• जम्मू कश्मीर और कर्नाटक का मानना है कि यह सचिवालय वित्त मंत्रलय के अधीन न होकर स्वतंत्र रहे। कर्नाटक ने तो इसे केंद्र सरकार के इतर स्थापित करने का सुझाव दिया है।
• वैसे सरकार ने पिछले महीने ही 15वें वित्त आयोग के गठन की घोषणा की है। इसका चेयरमैन पूर्व राजस्व सचिव एन. के. सिंह को बनाया गया है। आयोग को 30 अक्टूबर 2019 तक केंद्र और राज्यों के बीच संसाधनों के बंटवारे के नए फॉमरूले पर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपने को कहा गया है।

5. न्यूजीलैंड-रूस की मदद से ‘हरनाली’ तैयार

• लाला लाजपतराय पशु विज्ञान एवं पशुचिकित्सा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने वर्षो की मेहनत के बाद दुनिया की दो उच्च नस्लों और एक भारतीय नस्ल को मिलकर हरनाली भेड़ को विकसित किया है। यह भेड़ न्यूजीलैंड की कोरिडेल, रूस की मेरिनो और भारतीय नस्ल नाली के साथ मिलाकर तैयार की गई है। 
• एनिमल जेनेटिक्स एंड ब्री¨डग डिपार्टमेंट के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार ‘हरनाली’ में रोग प्रतिरोधक क्षमता अन्य नस्लों की तुलना में अधिक है। इससे मिलने वाली ऊन भी उच्च नस्ल की होगी। अगले डेढ़ से दो वर्षों में यह भेड़ सभी भेड़पालकों को उपलब्ध करवा दी जाएगी। 
• शुक्रवार को विश्वविद्यालय के कुलपति डा. गुरदियाल सिंह ने इस नस्ल को किसानों को समर्पित किया। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में देसी नस्ल नाली से मिलने वाली ऊन की गुणवत्ता अधिक अच्छी नहीं है, जबकि रूस की मेरिनो भेड़ की ऊन दुनिया में उच्चतर मानी जाती है।
• इस ऊन को आयात करवाना पड़ता है। इसके अलावा न्यूजीलैंड की कोरिडेल भेड़ के मीट की गुणवत्ता बेहतर होती है। नई नस्ल का हरनाली नाम हरियाणा के हर और देसी नस्ल नाली को जोड़कर रखा गया है। 
• बेहतर है रोग प्रतिरोधक क्षमता : हरनाली भेड़ ऊन देने के मामले में ही नहीं बल्कि कई अन्य मायनों में भी दुनिया की बेहतर नस्ल की भेड़ों की बराबरी करेगी। भेड़ों में परजीवी की समस्या अधिक आती है, जिससे कई बार भेड़ों की मौत हो जाती है और भेड़ पालकों को नुकसान उठाना पड़ता है। 
• हरनाली की रोगप्रतिरोधक क्षमता अधिक होने के कारण किसानों को होने वाले नुकसान में कमी आएगी। यह भेड़ कई दिनों तक बिना पानी के भी रह सकती है। ऐसे में शुष्क क्षेत्रों के भेड़पालकों के लिए यह भेड़ फायदेमंद साबित होगी।

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