• कांग्रेस समेत कुछ विपक्षी सदस्यों के बहिर्गमन के साथ ही भारतीय वन (संशोधन) विधेयक राज्यसभा से पारित हो गया। इसी के साथ अब गैर-वन क्षेत्रों में उगाए गए बांस को वृक्ष नहीं माना जाएगा तथा इसकी खेती की जा सकेगी।
• भारतीय वन संशोधन विधेयक को लोकसभा 20 दिसंबर को पारित कर चुकी थी। बुधवार को राज्यसभा ने भी इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया। हालांकि कांग्रेस, समाजवादी पार्टी तथा बीजू जनता दल के सदस्यों ने विधेयक का विरोध करते हुए सदन से वॉकआउट किया। उनका कहना था कि सरकार उद्योगपतियों के फायदे के लिए विधेयक को बिना समुचित विचार-विमर्श के जल्दबाजी में पारित करवा रही है और इसीलिए पहले अध्यादेश लेकर आई थी।
• विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने विपक्ष के आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया। उन्होंने कहा इससे आदिवासियों, वनवासियों तथा किसानों को फायदा होगा क्योंकि उनकी आमदनी बढ़ेगी।
• विधेयक गैर-वन क्षेत्रों में उगाए गए बांस को काटने और ढुलाई करने की अनुमति देता है। हालांकि वन क्षेत्र में उगाए गए बांस को अभी भी वृक्ष माना जाएगा तथा उस पर मौजूदा प्रतिबंधात्मक प्रावधान लागू रहेंगे।
• इससे पहले चर्चा में भाग लेते हुए पूर्व पर्यावरण मंत्री व कांग्रेस सदस्य जयराम रमेश ने विधेयक का ये कहते हुए विरोध किया कि यह बेहद भ्रामक है तथा इससे दीर्घकाल में आदिवासियों को नुकसान होगा। उन्होंने विधेयक को लेकर सरकार की हड़बड़ी पर सवाल उठाया और कहा कि जब संसद चल रही थी तो अध्यादेश लाने की क्या जरूरत थी।
• भारतीय वन संशोधन विधेयक को लोकसभा 20 दिसंबर को पारित कर चुकी थी। बुधवार को राज्यसभा ने भी इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया। हालांकि कांग्रेस, समाजवादी पार्टी तथा बीजू जनता दल के सदस्यों ने विधेयक का विरोध करते हुए सदन से वॉकआउट किया। उनका कहना था कि सरकार उद्योगपतियों के फायदे के लिए विधेयक को बिना समुचित विचार-विमर्श के जल्दबाजी में पारित करवा रही है और इसीलिए पहले अध्यादेश लेकर आई थी।
• विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने विपक्ष के आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया। उन्होंने कहा इससे आदिवासियों, वनवासियों तथा किसानों को फायदा होगा क्योंकि उनकी आमदनी बढ़ेगी।
• विधेयक गैर-वन क्षेत्रों में उगाए गए बांस को काटने और ढुलाई करने की अनुमति देता है। हालांकि वन क्षेत्र में उगाए गए बांस को अभी भी वृक्ष माना जाएगा तथा उस पर मौजूदा प्रतिबंधात्मक प्रावधान लागू रहेंगे।
• इससे पहले चर्चा में भाग लेते हुए पूर्व पर्यावरण मंत्री व कांग्रेस सदस्य जयराम रमेश ने विधेयक का ये कहते हुए विरोध किया कि यह बेहद भ्रामक है तथा इससे दीर्घकाल में आदिवासियों को नुकसान होगा। उन्होंने विधेयक को लेकर सरकार की हड़बड़ी पर सवाल उठाया और कहा कि जब संसद चल रही थी तो अध्यादेश लाने की क्या जरूरत थी।
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