1.विधि आयोग की राय : अवैध तरीके से हिरासत में रखने पर पीड़ित को दिया जाए हर्जाना
• आने वाले दिनों में पुलिस या अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए किसी भी व्यक्ति को ठोस कारण बगैर पकड़ कर बंद कर देना आसान नहीं होगा। किसी को गलत तरीके से कैद करने पर उन्हें पीड़ित व्यक्ति को हर्जाना देना पड़ सकता है।• दिल्ली हाई कोर्ट के निर्देश पर विधि आयोग इस बारे में कानून बनाने की संभावना का परीक्षण कर रहा है। बहुत संभव है कि निकट भविष्य में वह इसको लेकर सरकार से कानून बनाने की सिफारिश कर सकता है।
• आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, न्यायालय के निर्देश पर विधि आयोग ने अवैध कैद के शिकार व्यक्ति को हर्जाना देने संबंधी कानून बनाने की संभावना पर विचार-विमर्श कर दिया है। पिछले महीने दिल्ली हाई कोर्ट ने गलत तरीके से कैद एवं द्वेषपूर्ण अभियोजन के शिकार व्यक्तियों के लिए कानूनी उपचार के अभाव पर गहरी चिंता जताई थी।
• नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जीएस वाजपेयी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा था कि अमेरिका के 32 राज्यों में गलत तरीके से कैद के शिकार लोगों को आर्थिक एवं गैर वित्तीय हर्जाना देने के लिए उपयुक्त कानून है। इंग्लैंड एवं न्यूजीलैंड में भी इस तरह का प्रावधान है। लेकिन भारत में इस तरह का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है।
• हाई कोर्ट ने इस मामले में प्रोफेसर वाजपेयी को न्याय मित्र नियुक्त करते हुए विधि आयोग को निर्देश दिया कि वह इस बारे में ठीक से परीक्षण कर सरकार से कानून बनाने की सिफारिश करे।
2. इच्छा मृत्यु में तथ्यों से छेड़छाड़ पर होगी दस साल की सजा
• एक्टिव यूथनेसिया को बढ़ावा नहीं1स्वास्थ्य मंत्रलय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट किया कि प्रस्तावित विधेयक के प्रावधान किसी भी रूप में सक्रिय इच्छा मृत्यु (एक्टिव यूथनेसिया) को बढ़ावा नहीं देते हैं। एक्टिव यूथनेसिया का मतलब इंजेक्शन या दवाओं की मात्र को बढ़ाकर मरने की प्रक्रिया को तेज करना है। तैयार बिल के मसौदे में निष्क्रिय इच्छा मृत्यु को प्राकृतिक मौत की संज्ञा दी गई है।• पहले दूसरे नाम से बना था बिल1फिर से तैयार विधेयक के मसौदे को पहले मेडिकल ट्रीटमेंट ऑफ टर्मिनली इल पेशेंट्स (प्रोटेक्शन ऑफ पेशेंट्स एंड मेडिकल प्रेक्टिशनर्स) बिल नाम दिया गया था।
• विधि आयोग की सिफारिश पर तैयार विधेयक के मसौदे को पिछले वर्ष मई महीने में पब्लिक डोमेन पर डालकर लोगों से सुझाव मांगा गया था। इस पर 70 फीसद लोगों ने निष्क्रिय इच्छा मृत्यु का समर्थन करते हुए सुझाव दिए थे। इस वर्ष अक्टूबर में केंद्र ने बिल का मसौदा सुप्रीम कोर्ट में पेश किया। इसके बाद केंद्र को बिल का मसौदा फिर से तैयार करना पड़ा।
• गड़बड़ी करने वाले पर एक करोड़ तक का जुर्माना भी लगेगा
• निष्क्रिय इच्छा मृत्यु (पैसिव यूथनेसिया) को लेकर फिर से तैयार बिल के मसौदे में सरकार ने सख्त प्रावधान किए हैं। इसके तहत अस्पतालों में गठित मंजूरी समितियों के समक्ष निष्क्रिय इच्छा मृत्यु के लिए अगर गलत तथ्य पेश किए गए तो गड़बड़ी करने वालों को भारी कीमत चुकानी होगी।
• तथ्यों से छेड़छाड़ के जुर्म में उन्हें अधिकतम दस साल की जेल और एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने की सजा भुगतनी होगी।
• ध्यान रहे गत अक्टूबर में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि वह निष्क्रिय इच्छा मृत्यु के पक्ष में है। उसने इस बारे में बिल का मसौदा भी तैयार कर लिया है। इसमें लाइलाज बीमारी से पीड़ित मरीजों को इलाज से मना करने की इजाजत होगी।
• दोबारा तैयार मैनेजमेंट ऑफ पेशेंट्स विद टर्मिनल इलनेस-विदड्राल ऑफ मेडिकल लाइफ सपोर्ट बिल के मसौदे के अनुसार, अस्पतालों में गठित मंजूरी समितियां ही लिविंग विल (इच्छा मृत्यु की वसीयत) के आवेदन पर निर्णय करेंगी।
• लिविंग विल वह लिखित दस्तावेज है, जिसमें जीवित रहते इस बात की वसीयत कर जाना कि लाइलाज बीमारी से ग्रसित और मृतप्राय स्थिति में पहुंच गए शरीर को जीवन रक्षक उपकरणों पर न रखा जाए और मरने दिया जाए।
• मंजूरी समितियां ही लेंगी निर्णय : प्रस्तावित विधेयक में यह भी प्रावधान है कि निष्क्रिय इच्छा मृत्यु का विकल्प चुनने वाले मरीज का दर्द कम करने वाला उपचार चलता रहेगा। इसमें कहा गया है कि सभी सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों में निष्क्रिय इच्छा मृत्यु हेतु लिविंग विल पर निर्णय के लिए मंजूरी समितियां होनी चाहिए।
3. भारत पर नहीं लगी डब्ल्यूटीओ वार्ता नाकाम होने की तोहमत
• इस बार विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की बैठक से भारत की वापसी खलनायक के रूप में नहीं हो रही है। यह पहला मौका है जब वार्ता की विफलता के लिए भारत को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने यह बात कही।• डब्ल्यूटीओ का 11वां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन अमेरिका द्वारा खाद्य भंडारण के मुद्दे पर स्थायी समाधान की अपनी प्रतिबद्धता से पीछे हटने की वजह से बेनतीजा रहा।
• विश्व व्यापार संगठन की वार्ता के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए प्रभु ने कहा, ‘हम यहां खुले मन से आए थे। लेकिन कुछ सदस्यों के अड़ियल रुख की वजह से चीजें आगे नहीं बढ़ पाईं।’
• अमेरिका और कई अन्य सदस्य देश पहले की वार्ताओं में खाद्य भंडारण के मुद्दे पर प्रतिबद्धता जता चुके थे, लेकिन बाद में मुकर गए। वार्ता टूटने की वजह से सम्मेलन के अंत में कोई मंत्रिस्तरीय वक्तव्य नहीं जारी किया जा सका। हालांकि सम्मेलन की अध्यक्ष और अर्जेटीना की मंत्री सुसाना मालकोरा का वक्तव्य जारी किया गया था।
• प्रभु के मुताबिक, कुछ देशों के अड़ियल रुख के चलते विफल हुई वार्ता से भारत को कोई नुकसान नहीं हुआ है, बल्कि विकासशील राष्ट्रों के बीच हमारी प्रतिष्ठा बढ़ी है। पिछली मंत्रिस्तरीय बैठकों में भारत पर अड़ियल रुख अपनाने का आरोप लगता रहा है।
• केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सम्मेलन के दौरान उन्होंने दो दर्जन द्विपक्षीय बैठकों में हिस्सेदारी की। इस दौरान विभिन्न मुद्दों पर भारत और अन्य विकासशील देशों का रुख स्पष्ट करने में मदद मिली। भारत खाद्य सुरक्षा के मुद्दे का स्थायी समाधान चाहता है। भारत ऐसा समाधान चाहता है जो पीस क्लॉज से बेहतर हो।
• अमेरिकी आपत्ति भारत को लेकर नहीं, बल्कि कुछ अन्य देशों के प्रस्ताव पर थी। संभवत: अमेरिका का विरोध चीन को लेकर था।1डब्ल्यूटीओ के मुताबिक, किसी भी सदस्य देश में खाद्य सब्सिडी की अधिकतम सीमा वहां के कुल उत्पादन के 10 फीसद से ज्यादा नहीं हो सकती।
• भारत में खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम को व्यापक पैमाने पर लागू करने से इस सीमा के उल्लंघन होने का अनुमान है। इसीलिए भारत खाद्य सब्सिडी की गणना के तरीके में बदलाव की मांग कर रहा है।
• इस संबंध में दिसंबर, 2013 में बाली में डब्ल्यूटीओ की मंत्रिस्तरीय बैठक में पीस क्लॉज के नाम से अंतरिम व्यवस्था दी गई। इसके साथ ही मुद्दे का स्थायी समाधान निकालने की प्रतिबद्धता जताई गई थी।
• इस बार भी स्थायी समाधान नहीं निकलने से पीस क्लॉज की व्यवस्था बनी रहेगी।
• ऐसा पहली बार हुआ कि हमारा देश नहीं बना खलनायक
• कुछ देशों के अड़ियल रुख ने नहीं निकलने दिया समाधानवाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने बताया कि खाद्य सुरक्षा और अन्य मुद्दों पर समर्थन जुटाने के लिए फरवरी में भारत डब्ल्यूटीओ के कुछ सदस्य देशों की बैठक बुलाएगा।
• यह लघु-मंत्रिस्तरीय बैठक की तरह होगी। इसकी रूपरेखा बाद में तैयार की जाएगी। इस बैठक का उद्देश्य समान विचारधारा वाले देशों को एक साथ लाना और साझा हित से जुड़े मुद्दों पर विमर्श के साथ-साथ भारत का रुख स्पष्ट करना है।
• बैठक का फैसला ऐसे समय में लिया गया है, जब विकसित देश निवेश सुविधा बढ़ाने, ई-कॉमर्स के लिए नियम तैयार करने, लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और फिशरीज पर सब्सिडी कम करवाने की तैयारी में लगे हैं।
4. सुरक्षा परिषद में यरुशलम का दर्जा बरकरार रखने का प्रस्ताव
• यरुशलम को लेकर दुनिया में अकेले पड़े अमेरिका की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी किरकिरी हो सकती है। सुरक्षा परिषद ऐसा प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है जिसमें यरुशलम की स्थिति को बदलने वाले किसी निर्णय की कोई कानूनी वैधता नहीं होगी।• अगर यह प्रस्ताव पारित हो गया तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के यरुशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता देने वाला फैसला खतरे में पड़ जाएगा।
• यह प्रस्ताव किसी और ने नहीं बल्कि दुनिया में दूसरे नंबर की अमेरिकी सहायता पाने वाले देश मिस्र ने तैयार किया है।
• एक पन्ने के इस प्रस्ताव को शनिवार को सुरक्षा परिषद के सभी 15 सदस्य देशों को भेज दिया गया। इस प्रस्ताव में अमेरिका और राष्ट्रपति ट्रंप का जिक्र नहीं है। लेकिन यरुशलम का अंतरराष्ट्रीय शहर का दर्जा बदलने वाला कोई निर्णय मान्य न होने का संकल्प व्यक्त किया गया है।
• पूर्व निर्धारित व्यवस्था के अनुसार इजरायल और फलस्तीन की सहमति से ही यरुशलम का दर्जा बदला जा सकता है। फिलहाल यरुशलम पर प्रशासनिक नियंत्रण इजरायल का है लेकिन वह वहां की स्थिति को बदलने का कोई निर्णय नहीं ले सकता है।
• इस प्रस्ताव पर अगले सप्ताह मतदान हो सकती है। सुरक्षा परिषद में शामिल लगभग सभी देश इस प्रस्ताव के अनुसार अपनी राय रखते हैं। बावजूद इसके अमेरिका वीटो का इस्तेमाल करके इस प्रस्ताव को निष्प्रभावी कर सकता है।
• उल्लेखनीय है कि ट्रंप के यरुशलम पर किए गए फैसले का दुनिया भर में विरोध हो रहा है। तमाम देशों में लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। पाकिस्तान और इंडोनेशिया जैसे मुस्लिम बहुल आबादी वाले देशों में तो विरोध प्रदर्शन ज्यादा ही आक्रामक है। वहां के नेता इसे धार्मिक मसला बताते हुए जेहाद तक का आह्वान कर रहे हैं।
5. पहले चरण में सभी बैंकों को नहीं मिल पाएगी पूंजी
• चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों को सरकार की ओर से पूंजी नहीं मिल पाएगी। सूत्रों ने कहा कि पहली किस्त में उन बैंकों का ही पुनर्पूंजीकरण किया जाएगा जिनका प्रदर्शन बेहतर रहा और जिन्हें पूंजी की सबसे अधिक जरूरत है।एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि सभी बैंकों को पहली किस्त में ही पुनर्पूंजीकरण बांड जारी किया जाए।
• बैंकों को पूंजी विभिन्न मानकों पर खरा उतरने मसलन सुधार आदि के आधार पर दी जाएगी। अधिकारी ने कहा कि बैंक का पुनर्पूंजीकरण उनके प्रदर्शन, उनके द्वारा किए गए सुधारों तथा भविष्य की रूपरेखा के आधार पर किया जाएगा। चालू वित्त वर्ष में बैंकों में कितनी पूंजी डाली जाएगी इसका पता संसद की मंजूरी के बाद ही चलेगा। अधिकारी ने बताया कि सरकार ने अभी तक पुनर्पूंजीकरण बांडों के लिए सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) तय नहीं किया है।
• वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अक्टूबर में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मजबूत करने के लिए दो साल में 2.11 लाख करोड़ रपए की पूंजी डालने की रूपरेखा की घोषणा की थी। जून, 2017 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) बढ़कर 7.33 लाख करोड़ रपए हो गई हैं, जो मार्च, 2015 में 2.75 लाख करोड़ रपए थीं।
• मौजूदा नीति के तहत सरकारी बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी घटाकर 52 प्रतिशत तक लाई जा सकती है। जेटली ने यह भी घोषणा की थी कि बैंकों को इंद्रधनुष योजना के तहत अगले दो साल में 18,000 करोड़ रपए मिलेंगे।
• बैंकों को पूंजी विभिन्न मानकों पर खरा उतरने मसलन सुधार आदि के आधार पर दी जाएगी। अधिकारी ने कहा कि बैंक का पुनर्पूंजीकरण उनके प्रदर्शन, उनके द्वारा किए गए सुधारों तथा भविष्य की रूपरेखा के आधार पर किया जाएगा। चालू वित्त वर्ष में बैंकों में कितनी पूंजी डाली जाएगी इसका पता संसद की मंजूरी के बाद ही चलेगा। अधिकारी ने बताया कि सरकार ने अभी तक पुनर्पूंजीकरण बांडों के लिए सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) तय नहीं किया है।
• वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अक्टूबर में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मजबूत करने के लिए दो साल में 2.11 लाख करोड़ रपए की पूंजी डालने की रूपरेखा की घोषणा की थी। जून, 2017 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) बढ़कर 7.33 लाख करोड़ रपए हो गई हैं, जो मार्च, 2015 में 2.75 लाख करोड़ रपए थीं।
• मौजूदा नीति के तहत सरकारी बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी घटाकर 52 प्रतिशत तक लाई जा सकती है। जेटली ने यह भी घोषणा की थी कि बैंकों को इंद्रधनुष योजना के तहत अगले दो साल में 18,000 करोड़ रपए मिलेंगे।
6. सोयूज 3 यात्रियों संग अंतरिक्ष केंद्र रवाना
• रूस का सोयूज अंतरिक्ष यान अमेरिका, रूस और जापान के अंतरिक्षयात्रियों के एक दल के साथ कजाकिस्तान स्थित बैकोनूर प्रक्षेपण केंद्र से रविवार को रवाना हो गया।अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा, यान में नासा के स्कॉट टिंगल, रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोसकॉस्मस के एंटन श्कपलेरोव और जापानी एरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी के नोरिशिज कनाई सवार हैं, जिनकी 19 दिसम्बर को अंतरिक्ष केंद्र के रासवेट मॉड्यूल से जुड़ने की योजना है।
• इन तीनों के पहुंचने से अंतरिक्ष केंद्र में कुल कर्मियों की संख्या छह हो जाएग। यह तीनों रोसकास्मस एक्सपेंडिशन 54 कें कमांडर अलेक्जेंडर मिसुरकिन और उनकी टीम के सदस्यों मार्क वांडे हेई और जोई अकाबा के साथ विभिन्न अनुसंधानों पर काम करेंगे, जिसमें अल्प गुरुत्वाकर्षण वातावरण में फाइबर ऑप्टिक फिलामेंट्स के निर्माण के लाभों का शोध भी शामिल है।
• अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा, इन तीनों वैज्ञानिकों की अंतरिक्ष केंद्र में फरवरी 2018 तक रहने की योजना है, जिसके बाद वह अप्रैल में वापस लौट आएंगे।
• इन तीनों के पहुंचने से अंतरिक्ष केंद्र में कुल कर्मियों की संख्या छह हो जाएग। यह तीनों रोसकास्मस एक्सपेंडिशन 54 कें कमांडर अलेक्जेंडर मिसुरकिन और उनकी टीम के सदस्यों मार्क वांडे हेई और जोई अकाबा के साथ विभिन्न अनुसंधानों पर काम करेंगे, जिसमें अल्प गुरुत्वाकर्षण वातावरण में फाइबर ऑप्टिक फिलामेंट्स के निर्माण के लाभों का शोध भी शामिल है।
• अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा, इन तीनों वैज्ञानिकों की अंतरिक्ष केंद्र में फरवरी 2018 तक रहने की योजना है, जिसके बाद वह अप्रैल में वापस लौट आएंगे।
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