• एयरबोर्न अर्ली वार्निग एंड कंट्रोल सिस्टम (अवाक्स) के एंब्रायर ट्रांसपोर्ट विमान ने सफलतापूर्वक उड़ान भरते हुए हवा में ईंधन भरने का काम किया। इस क्षमता से विमान हवा में निर्धारित समय से ज्यादा देर तक उड़ान भरने में सक्षम हो सकेगा।
• यह पहला मौका है जब एंब्रायर प्लेटफार्म पर हवा में उड़ान भरने के दौरान ईंधन भरने का काम किया गया है।
• वायुसेना के लिए यह एक नई उपलब्धि है। हवा में उड़ान भरते हुए ईंधन भरने की इस तकनीक को एयर-टू-एयर रीफ्यूलिंग कहा जाता है। इस तकनीक के लिए वायुसेना के पायलटों के पास विशेष उड़ान दक्षता का होना जरूरी है।
• इसका कारण यह है कि ईंधन लेने वाले विमान को तेल वाहक विमान के पीछे लगे टोकरी के आकार के ड्राग से सटीक तरीके से जुड़ना होता है। ईंधन भरने की प्रक्रिया के दौरान दोनों विमानों के लिए एकदम सटीक उड़ान मानदंडों को बनाए रखना अनिवार्य है।
• वायुसेना ने अपने बयान में कहा है कि दुनिया की कुछ ही वायुसेना इस क्षमता का प्रदर्शन कर सकती है। इस क्षमता से लैस गिनती की वायुसेना में भारतीय वायुसेना भी शामिल है।
• यह पहला मौका है जब एंब्रायर प्लेटफार्म पर हवा में उड़ान भरने के दौरान ईंधन भरने का काम किया गया है।
• वायुसेना के लिए यह एक नई उपलब्धि है। हवा में उड़ान भरते हुए ईंधन भरने की इस तकनीक को एयर-टू-एयर रीफ्यूलिंग कहा जाता है। इस तकनीक के लिए वायुसेना के पायलटों के पास विशेष उड़ान दक्षता का होना जरूरी है।
• इसका कारण यह है कि ईंधन लेने वाले विमान को तेल वाहक विमान के पीछे लगे टोकरी के आकार के ड्राग से सटीक तरीके से जुड़ना होता है। ईंधन भरने की प्रक्रिया के दौरान दोनों विमानों के लिए एकदम सटीक उड़ान मानदंडों को बनाए रखना अनिवार्य है।
• वायुसेना ने अपने बयान में कहा है कि दुनिया की कुछ ही वायुसेना इस क्षमता का प्रदर्शन कर सकती है। इस क्षमता से लैस गिनती की वायुसेना में भारतीय वायुसेना भी शामिल है।
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