Friday, 1 December 2017

1 Dec-2017:-8. मस्तिष्क की तरंगों को ‘पी300 स्पेलर’ देगा जुबान

• बिना बोले, बिना लिखे और बिना इशारे के अपनी बात कहना क्या संभव है? इसका जवाब होगा नहीं, लेकिन ऐसा हो सकता है। दिव्यांग और अक्षम अपनी समस्याओं को नहीं बता पाते। न बोल पाने के कारण उनकी बातों को समझना मेडिकल साइंस के लिए भी बड़ी चुनौती रहा है। लेकिन अब यह दिक्कत दूर हो जाएगी।
• एनआइटी के पीएचडी स्कॉलर और असिस्टेंट प्रोफेसर राहुल कुमार चौरसिया ने इस समस्या के निदान के लिए देवनागरी लिपि आधारित ‘पी300 स्पेलर सिस्टम’ ईजाद किया है। यह मस्तिष्क की विद्युत तरंगों को जुबान देता है। 
• यह सीधे मनुष्य और कंप्यूटर के बीच संचार बनाता है। इसमें बिना बोले, लिखे और इशारा किए केवल मस्तिष्क से बातें कही जा सकती हैं।
• इसमें क्लासिफिकेशन विधि की मदद से न केवल अक्षर उच्चारित (स्पेल) होता है, बल्कि ऑटो करेक्ट होकर सटीक एवं पूर्ण हिंदी शब्द और वाक्य बनता है। 
• पी300 स्पेलर के माध्यम से वर्णमाला के अक्षरों और अंकों को एक-एक कर कंप्यूटर स्क्रीन पर स्पेल कराया जा सकता है। हालांकि अंग्रेजी वर्णमाला के लिए पी300 स्पेलर पर शोध कुछ वर्षों से जारी है, लेकिन हंिदूी में संचार के लिए ऐसा कोई स्पेलर उपलब्ध नहीं था। उन्होंने बताया कि देवनागरी लिपि में पी300 स्पेलर का निर्माण कठिन है क्योंकि उसमें मात्रओं, आधे अक्षरों और अंग्रेजी वर्णमाला से अधिक अक्षरों की उपलब्धता है। 
• उन्होंने बताया कि पी300 स्पेलर हिंदी में संचार करने वाले उन अक्षम लोगों के लिए विशेष मददगार है जो पारंपरिक संचार माध्यमों का उपयोग नहीं कर पाते। यह न्यू इंडिया में दिव्यांग और अक्षम लोगों की भागीदारी बढ़ाएगा और उनकी जीवनशैली को बेहतर बनाने में भी योगदान देगा।
• इस तरह करता है काम : यह एक प्रकार की ब्रेन इंटरफेस तकनीक है, जिसका उपयोग कंप्यूटर से संचार या उसे कमांड देने के लिए किया जाता है। व्यक्ति के सामने एक स्क्रीन रखी जाती है और उसमें लिखे अक्षरों को मनुष्य देखता है और देखने के बाद मस्तिष्क से निकलने वाली विद्युत तरंगों को ईईजी रिकॉर्ड करता है और कंप्यूटर को निर्देशित करता है। उसी निर्देशों के आधार पर कंप्यूटर लोगों को बता देता है कि सामने वाला क्या बोलना चाहता है।

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