Thursday, 30 November 2017

30 November 2017(Thursday) 1.भारत-सिंगापुर का आतंकवाद मिटाने का संकल्प

• भारत और सिंगापुर ने बुधवार को आतंकवाद से कड़ाई से निपटने का संकल्प लिया। दोनों देशों ने समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग को प्रगाढ़ बनाने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए तथा महत्वपूर्ण समुद्री मागरे में नौवहन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने का आह्वान किया। 
• भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य मौजूदगी की पृष्ठभूमि में भारत और सिंगापुर ने यह सहमति जताई है।रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और उनके सिंगापुरी समकक्ष नेग एंग हेन के बीच हुई विस्तृत बातचीत के दौरान दोनों देशों ने रक्षा सहयोग बढ़ाने खासकर आतंकवाद से निपटने पर ज्यादा जोर देने का संकल्प किया।
• दोनों देशों के बीच नौसैन्य सहयोग को लेकर हुए समझौते में समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में संपर्क बढ़ाना, साझा अभ्यास, एक दूसरे के नौसैन्य प्रतिष्ठानों से अस्थायी तैनाती और साजो-सामान का सहयोग शामिल है।
• निर्मला ने सिंगापुरी रक्षामंत्री के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारत और सिंगापुर पारगमन सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए मजबूती के साथ प्रतिबद्ध हैं।
• हेन ने कहा कि दोनों देशों के रक्षामंत्रियों के बीच हुई बातचीत को व्यापक रूप से सफल और उपयोगी करार दिया और इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद तथा रासायनिक एवं जैविक हथियारों जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए क्षेत्रीय एवं नियंतण्र प्रयासों की जरूरत है।
• समुद्री क्षेत्र में क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य का हवाला देते हुए दोनों मंत्रियों ने नौवहन की स्वतंत्रता तथा अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत व्यापार बरकरार रखने के महत्व पर जोर दिया। सिंगापुरी रक्षामंत्री ने हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की अग्रणी भूमिका की सराहना की और भारत के उस प्रस्ताव पर सहमति जताई कि दोनों देश साझा समुद्री क्षेत्र में सतत एवं संस्थागत नौसैन्य सपंर्क स्थापित करेंगे।
• बहरहाल, हेन ने कल एक थिंकटैंक के कार्यक्र म में अमेरिका, जापान, भारत और आस्ट्रेलिया के प्रस्तावित गठजोड़ को लेकर सिंगापुर की आपत्ति जताई थी। भारतीय नौसेना के युद्धपोत गत जून से ही मलक्का जल डमरू मध्य में गश्त लगा रहे हैं और यह क्षेत्र भारत के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत का 35 प्रतिशत व्यापार दक्षिणी चीन सागर क्षेत्र के रास्ते ही होता है।
• भारत और सिंगापुर की वायु सेनाओं और थल सेनाओं के बीच पहले से ही द्विपक्षीय सहयोग समझौते हैं। वायु सेनाओं के बीच समझौते का इस वर्ष जनवरी में नवीकरण किया गया और थल सेना सहयोग समझौते का अगले वर्ष नवीकरण किया जाना है।

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